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काठमांडू। विभिन्न दलों से जुड़े किसान संगठनों ने सरकार से उर्वरकों के मूल्य में वृद्धि को वापस लेने और राष्ट्रीय बैंक की नीति के विरुद्ध ऋण देने वाली सहकारी समितियों, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और उनके संचालकों को काली सूची में डालने की मांग की है।
उन्होंने कोरोना काल से चक्रीय ब्याज प्रणाली में माइक्रोफाइनेंस और सहकारी समितियों को मिलने वाले सभी ब्याज और नुकसान को माफ करने और शेष ऋण भुगतान के लिए पर्याप्त समय देकर ऋण को पुनर्निर्धारित करने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।
ऑल नेपाल फार्मर्स फेडरेशन (क्रांतिकारी केंद्र), ऑल नेपाल फार्मर्स फेडरेशन (क्रांतिकारी) और नेपाल समाजवादी किसान फेडरेशन ने संयुक्त बयान जारी कर नेपाली किसानों का वर्गीकरण कर उन्हें ‘किसान पहचान पत्र’ प्रदान करने और उसके आधार पर सेवाएं, सुविधाएं, सब्सिडी, राहत प्रदान करने के लिए , बीमा, कृषि के साथ ही कर्ज व अन्य सुविधाएं देने की भी मांग की है.
उन्होंने सरकार से 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके किसानों को किसान पेंशन और सभी किसानों को अंशदान आधारित सामाजिक सुरक्षा भत्ता देने की भी मांग की है.
उन्होंने अपनी 10 सूत्री मांग को आगे बढ़ाते हुए कृषि के प्राथमिक उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर रोक लगाने तथा नेपाली कृषि को विदेशी व दलाल पूंजीपतियों के हाथ में जाने व पराधीन होने से रोकने की मांग की है।
इसी तरह उन्होंने मीटर-बैगर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, मूलधन चुका चुके सभी कर्जदारों का कर्ज रद्द करने, विदेशों से सब्जियां, चिकन, अंडे, बकरी और पशुधन के आयात पर रोक लगाने की मांग की है.
भोजन, सब्जियों और फलों में कीटनाशक अवशेष परीक्षण को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि स्वदेशी किसानों के उत्पादन को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने काला बाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है ताकि मूल्य वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके और रासायनिक खादों के मूल्य वृद्धि को तुरंत वापस लिया जा सके.
खेती के दौरान रासायनिक खाद की कमी की स्थिति को समाप्त करें। अगले 10 वर्षों में जैविक खेती और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि देश में बिना रासायनिक खाद के खेती की जा सके।
बयान जारी करने वालों में अखिल नेपाल किसान महासंघ (क्रांतिकारी केंद्र) के अध्यक्ष चित्रा बहादुर श्रेष्ठ, अखिल नेपाल किसान महासंघ (क्रांतिकारी) के प्रतिनिधि शेखर आचार्य और समाजवादी किसान महासंघ के अध्यक्ष तेज बहादुर श्रेष्ठ शामिल हैं.
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