
लेखक : भोला जीत नेपाल । विश्वको राजनीतिक इतिहास हेर्दा पनि, डा. सी के राउत ले आफू र आफ्नो नेतृत्वको गठबंधनले इतिहास रच्ने दाबी गर्दै आएका थिए । तर राजनीतिक रुपमा झन् कमजोर बनाउँदै मधेश जगतको राजनीतिक इतिहासमा पहिलो पटक त होइन, तर यस्तो गद्दारी भने पहिला भएको देखिँदैन । मधेश लाई आफ्नो मार्ग दर्शन, तथा विभिन्न किताबहरूको माध्यम बाट छुट्टै इतिहास निर्माण गर्ने तर्फ उन्मुख हुँदा हुदै पनि राजनीतिक यु टर्न लिनु नै आफ्नो अस्तित्व र मधेशी जनता लाई धोका दिनु सरह नै हुन्। डा सी के राउतको यस्तै बहुरूपिया चरित्र हरु र आफ्नो राजनीतिक चरित्र स्थापनाको लागि मधेशी जनता माझ छरिएका केही भ्रम हरु लाई भोला जीत नेपालले संकलन गरिएर बुँदागत रूपमा हिन्दीमा प्रस्तुत गरिएका छन ।
अपने नारों और वादों से भागने बाला मधेशको स्वतंत्र करायेंगे ?
डा. राउत के नारों और वादों पर उनके कुछ अन्ध भक्तको भी ध्यान देना जरुरी हैं।
१. आजादी से नीचे कम नहीं, शर कट जाये तो भी गम नहीं
२. स्वतन्त्र मधेशका दूसरा कोई विकल्प नहीं ।
३. जिस समाज और समुदायका अपनी सेना और अपना संविधान न हों, उसके लिए विकासका कोई अर्थ नहीं होता
४. बिना जेल नेल सहे कैसा आजादी ? कुछ ही वर्ष के जेल नेल से मधेशकी आजादी पक्का है ।
५ केपी ओली अगर प्रधानमंत्री बन गये तो मधेशकी आजादी करीब आ जायेगी । कारण उनके मधेश विरोधी चरित्र बहुत बन्हिया काम करेगा ।
६. नेपाली नम्बर प्लेटकी गाडी हम प्रयोग नहीं करेंगे, न खरीदेंगे । मधेश देश बननरके बाद हम अपना नम्बर प्लेट निर्माण करेंगे ।
७. काठमाण्डौ में हम और हमारे टिम के कोई लोग घर घडारी नहीं खरीदेंगे, न बनायेंगे । मगर उस समय भी ई. बसन्त कुशवाहा करोडों की लगानी काठमाण्डौ में कर रहे थे । उसी गठबंधन के समय में ईन्जिनियर जनमत संघ के केन्द्रिय अध्यक्ष ई. नरेन्द्र चौधरी ने काठमाण्डौ में आलिशान घर खरीदा । ई. दीपक साह लगायत के कई अन्य पैसे बाले स्वराजियों ने काठमाण्डौ में ही सम्पत्ति, व्यवसाय और नौकरी जोडते रहे ।
८. मधेशको विकसित और समृद्ध बनाने बाले बसन्त ई. कुशवाहा, ई. नरेन्द्र चौधरी लगायत के लोगों द्वारा करोडों अरबों की सम्पत्ति काठमाण्डौ में लगानी क्यों ?
९. ११ बूंदे सहमति के समय : अपने भाषण में एक बार भी मधेश का उच्चारण नहीं ।
१०. जनमत संग्रह कराने की बात अब गायब ।
११. शहीद किसी परिवार और पार्टी का होता है, या देश और समाज का ? स्व. राम मनोहर जी कहां किस देश के शहीद हैं ? जिस देश में चुनाव लडा जायेगा, जिस देश के संविधान को माना गया, उस देश का शहीद राम मनोहर जी क्यों नहीं ?
१२. स्वराजियों पर आजतक राज्य और उसके अदालतों द्वारा मुद्दे क्यो ?
१३. हमें स्वतन्त्र मधेश गठबंधन बाले डक्यूमेण्ट्सों को प्रयोग और प्रचार प्रसार करने से रोकने का कारण क्या ?
१४. पहले बीस लाख युवाओं को रोजगारी देने की बात । फिर दश लाख ही क्यों ? क्या रोजगारी किसी के पकेट से आते हैं।
१५. हम चुनाव में भाग नहीं लेंगे कहा गया था । फिर चुनाव में जाने का तर्क क्या है ?
१६. हमने रास्ते बदले हैं, मुद्दा नहीं । तो फिर उसका रोड म्याप क्या ?
१७. संसद में बिना बहुमत मधेशका विकास और समृद्धि कैसे ?
१८. पहले जनमत संग्रह, उसके बाद विकास और समृद्धि, फिर बीस लाख नौकरी, उसके बाद फिर दश लाख नौकरी आदि-ये क्या है ? हमेशा बात बदलना ?
यी र यस्ता कुरा हरु लाई डा सी के राउतको कार्यकर्ताहरुले पनि बुझ्न जरुरी छन। यदि यस्ता कुरा हरु लाई मध्यनजर गरिएन भने जनता माझ आफ्नो राजनीतिक चरित्र स्थापना गरिएको डा राउत आहिले विभिन्न भ्रम हरु छरिएर आफ्नो पार्टी लाई एकदम अब्बल बताउँदै आएका छन्। तर के साचिकै अब्बल र जनताको हीत मा छन त ?
छैनन् भने मनन गर्नु परेन ? धोकेबाज लाई फेरि पनि बढावा दिने तपाईं दोषी होइन र ?